Anuj Kumar is a Bihar native with a Bachelor's degree in Journalism from Patna University. With three years of hands-on experience in the field of journalism, he brings a fresh and insightful perspective to his work. Anuj is passionate about storytelling and uses his roots in Bihar as a source of inspiration. When he's not chasing news stories, you can find him exploring the cultural richness of Bihar or immersed in a good book.

Class 10th Hindi पाठ 4 नाखून क्यो बढ़ता है VVI Objective Question 2022|Bihar Board 10th Hindi Objective Question 2022 PDf

  Class 10th Hindi पाठ 4 नाखून क्यों पढते है|  Class 10th Hindi VVI objective Quaction 2022                

4. हजारी प्रसाद द्विवेदी

आचार्य हजारी प्रसाद दृवेदी का जन्म सन 1907 ई० में छपरा बलिया (उत्तरप्रदेश ) में हुआ । वे महान पंडित के रूप में जाने जाते हैं। इनका सहित्यक्रम भारतवर्ष के सांस्कृतिक ऐतिहास की रचनात्मक परिणीति है। उनका अगाध पण्डित्य नवीन महानतावादी सर्जन ओर आलोचना की क्षमता लेकर प्रकट हुआ है। उनकी रचना के संसार में विचार की तेजस्विता कथन के लालित्य और बंध की शास्त्रीयता का संगम है। उनके अनुसार भारतीय संस्कृति किसी एक जाति की देन नहीं बल्कि समय-समय पर उपस्थित उनके जातियों के श्रेष्ठ साधनसों के लवण नीर संयोग से विकसित हुई है। सन 1979 में दिल्ली में उनका निधन हुआ।

1. नाखून क्यों बढ़ते हैं किस प्रकार का निबंध है ?
(A)  ललित              (B) भावात्मक
(C)  विवेचनात्मक।  (D) विवरणात्मक

Answer A


2. हजारी प्रसाद दृवेदी किस निबंध के रचयिता हैं ?
(A)  नागरी लिपि।                (B) नाखून क्यों बढ़ते हैं
(C) परम्परा का मूल्यांकन।   (D) शिक्षा और संस्कृति

Answer B


 

3. अल्पज्ञ पिता कैसा जीव होता है ?
(A) दयनीय                (B) बहादुर
(C)अल्पभाषी।          (D) मृदुभाषी

 

Answer A


4. दधीचि की हड्डी से क्या बना था ?
(A) तलवार।              (B) त्रिशुल
(C) इंद्र का व्रज।        (D) कुछ भी नहीं

Answer C


5. कामसूत्र किसकी रचना है ?
(A)वात्स्यायन।                (B)हजारी प्रसाद दृवेदी
(C)भीमराव अम्वेडक।      (D)गुणाकर मुले

Answer A


6. हजारी प्रसाद का जन्म किस राज्य में हुआ था ?
(A) बिहार।                      (B)  मध्यप्रदेश
(C) बलिया (उतर प्रदेश)    (D) राजस्थान

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Answer C


7. हजारी प्रसाद का जन्म कब हुआ था ?
(A) 1907 में।               (B) 1807 में
(C) 2007 में                (D) 1606 में

 

Answer A


8. पांडित्य एवं सहदयता की प्रतिमूर्ति निम्नलिखित में कौन थे ?
(A) आचार्य हजारी प्रसाद दृवर्दी।  (B) बर्बर मानव
(C) आदि पुरुष।                        (D)  आदि मानव

Answer A


9.लेखक के अनुसार मनुष्य के नाखून किसके जीवंत प्रतीक है ?
(A) मनुष्यता के                       (B) सभ्यता के
(C) पाशवी वृति के                   (D) सौंदर्य के

Answer C


10. सहजात वृतियाँ किसे कहते हैं ?
(A) अस्त्रों के संचयन को।         (B) अनजान स्मृतियों को
(C)’ स्व’ के बंधन को                 (D) उपर्युक्त सभी

Answer B

 

Class 10th Hindi  Nakhun Kyo badhta Hai VVi Subjective Question 2022 |Class 10th Hindi   नाखून क्यो बढ़ता है 


प्रश्न 1. नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ?
उतर- नाखून क्यों है ? यह प्रश्न लेखक के आगे लेखक की छोटी पुत्री ने उपस्थित किया ।


प्रश्न 2. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?
उतर- बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाता है कि मनुष्य कभी लाख वर्ष पूर्व नख-दनतावलम्बी था।पशुत्व भाव को प्राप्त किये थी । नखों के द्वारा ही प्रितिदनिद्धियों को पछाड़ता था। नख कट जाने पर उसके डांट पड़ता होगा इत्यादि।


प्रश्न 3. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप देखना कहाँ तक संगत है ?
उतर- नाखून हीं मानव के अस्त्र थे। आज से लाख वर्ष पूर्व जब जंगल में रहता था। अपने पैने नुकीले नख से अन्य जीवों को आहट कर पेट भरता था। अपने नाखून के प्रहार से प्रतिनिद्धियों को पछड़ता था। इसलिए नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना युक्तिसंगत है।

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प्रश्न 4. मनुष्य बार-बार नाखून को क्यों काटता है ?
उतर-नाखून मनुष्य का प्राचीनतम हथियार है। जिस समय मनुष्य पशु की भाँति जीवन व्यतीत कर रहा था। आज मनुष्य उस पाशविक वृति को छोड़ चुका है। मानविक गन आ जाने के कारण पशुता का त्याग करना ही उचित मानता है। इसलिए मनुष्य नाखून को अपना हथियार नहीं बनाना चाहता है। नाखून बढ़ते हैं इसका बढ़ना मनुष्य के शरीर की सहज वृत्ति है। वह बार-बार बढ़ेगा। लेकिन मानव पशुता की ओर आधोगामिनी वृति नही उपनयेगा। उसे बार-बार काटता है और काटता रहेगा


प्रश्न 5 नाखून बढ़ना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृतियाँ हैं? इनका क्या अभिप्रया है ?

उतर- मानव शरीर में कुछ सहजवृतयाँ होती हैं? इनका क्या अभिप्रया है ?
उतर- मानव शरीर में कुछ सहजवृतियाँ होती रहती हैं। जैसे नाखून का बढ़ना केश का बढ़ना आदि उसी प्रकार नाखून को बढ़ना और उन्हें काटना भी मनुष्य की सहजात वृतियाँ हैं । इसका अभिप्राय यह है कि नाखून को बढ़ाना पशुत्व का प्रमाण ओर उसका काटना माणत्व का प्रमाण है। वह बढ़ना रहेगा लेकिन हम उसे काटकर पशुत्व का त्याग और मनुष्यता को ग्रहण करते रहें, क्योंकि पशु बनकर कोई आगे नहीं बढ़ सकता है।


प्रश्न 6. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर ? स्पष्ट करें।

उत्तर- लेखक पूछता है। माना मेरी छोटी निर्बोध बालिका ने मनुष्य जाति से पूछ रही है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर। मनुष्य का अस्त्र-शस्त्र बढ़ना क्या पशुता की ओर नहीं ले जा रहा है। क्या मनुष्य अस्त्र काटने की ओर बढ़ रहा है? जवाब मिलेगा नहीं। फिर मनुष्य का मानत्व बढ़ना तो है ही नहीं। अर्थात् आज का मनुष्य अस्त्र-शस्त्र को बढ़ाकर पशु की ओरही अधोगामिनी गति को प्राप्त कर रहा है।

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प्रश्न 7. देश की आजादी के लिए प्रयुक्त किन शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करता है और लेखक के निष्कर्ष क्या हैं ?

उत्तर- देश की आजादी के लिए प्रयुक्त “इण्डिपेण्डेन्स” स्वाधीनता दिवस शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करता है और लेखक का निष्कर्ष है कि ‘इण्डिपेण्डेन्स’ का अर्थ अन् अधीनता अर्थात् अधीनता का अभाव होता है लेकिन हम भारतीयों ने उसको सहज भाव में “स्वाधीनता” नाम दे दिया। यह हमारी विशेषता है कि हम ‘अन्’ को “स्व” में बदल डाला। जबकि स्वाधीनता के लिए अंग्रेजी शब्द “सेल्फ डिपेण्डेन्स” शब्द का प्रयोग होना चाहिए था।


प्रश्न 8. ‘स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है ?

[BSEB 13C]

उत्तर- लेखक ने “स्वाधीनता” शब्द की सार्थकता बताते हुए कहते हैं कि “अनधीनता” (इण्डिपेण्डेन्स) को भारत के लोग “स्वाधीनता” के रूप में सोच लिया यह हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है। इसीलिए हम “स्व” के बंधन को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।

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प्रश्न 9. मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएंगे। प्राणिशास्त्रियों के इ से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है?

उत्तर- प्राणिशास्त्रियों का अनुमान है कि मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएँगे। इस अनुमान से लेखक के मन में आशा जगती है कि समय पाकर मानव के पूँछ झड़ गये। मानव में मानत्व के गुण आने लगे। पाशविक विकार दूर हुए। ठीक उसी प्रकार पशुता के प्रतीक यह बढ़ने वाला नाखून भी जब झड़ जाएँगे तब मानव में शेष पाशविक वृति भी समाप्त हो जायेगी और मानविक वृति का संचार होने लगेगा। मनुष्य में


प्रश्न 10. लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या है ? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- लेखक हजारी प्रसार द्विवेदी जी की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है कि भारतीय चित्र जो आज “ अधीनता” को रूप में न सोचकर स्वाधीनता के रूप में सोचता है, वह हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है। वह संस्कार “स्व” के बंधन को असानी से छोड़ नहीं सकता। अपने आप पर अपने आप के द्वारा लगाया हुआ बंधन हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है।

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